महिला के वेश में पुरुष कलाकार: बिलासपुर में धूमधाम से किया गया भोजली विसर्जन,भाईचारा और हरियाली का प्रतिक है भोजली ,देखे रिपोर्ट

BILASPUR-NEWSछत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है। इसलिए प्रकृति और हरियाली संबंधित यहाँ कई तरह से उत्सव और त्योहार मनाये जाते हैं। हर महीने त्योहार मनाए जाने वाले छत्तीसगढ़ में इन उत्सवों और त्योहारों से ग्रामीणों के बीच आपसी भाईचारा, प्रेम और सहयोग की भावना में वृद्धि होती है। बारिश शुरू होने के बाद से त्योहारों का सीज़न शुरू हो जाता है। हरेली पोला के बाद अब सोमवार को पारंपरिक ढंग से भोजली त्योहार मनाई गई हैं। आवश्यक तौर पर यह त्योहार पूरे प्रदेशभर मनाई जाती है किन्तु हम यहाँ पे जो आपको बिलासपुर जिला के मजोरी विकासखंड से दिखा रहे हैं। जहाँ आने वाले ग्राम पंचायत में आज भी प्राचीन तरीके से झांझ मंजीरा और मांदर की धुन पर सिर में भोजली की टोकरी के साथ ग्रामीण कलाकार महिलाओं की पोशाक में झूमकर नाचते हुए तालाब तक जाते हैं और वहाँ भोजली को विसर्जित किया जाता है।

आपको बता दे की भोजली त्योहार की शुरुआत एक माह पहले से ही ग्रामीण अपने घरों से शुरू कर दिए जाते हैं। इस पूरे माह भर भोजली गीत गाकर देखरेख और पूजा करते है। फिर रक्षाबंधन के दूसरे दिन नाचते गाते है। तालाब में विसर्जित किया जाता है। लोग एक दूसरे को भोजली देकर रिश्ता अनुसार अभिवादन भी करते हैं। बताया जाता है इस परंपरा से आपसी प्रेम और भाईचारा बढ़ती है। सचमुच छत्तीसगढ़ की भोज त्यौहार से लोगों के बीच की देश भावना मिल जाती है और प्रकृति की हरियाली की तरह लोग खिल उठते है।

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