Bharat Jodo Yatra: बीजेपी के हिंदुत्व नैरेटिव को कमज़ोर कर पाई कांग्रेस, राहुल गांधी

Bharat Jodo Yatraराहुल गाँधी की अगुवाई में कांग्रेस की भारत जोड़ों यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के समापन के साथ ही ये सवाल उठना स्वाभाविक है। क्या इससे पार्टी की मुख्य विरोधी और केंद्र की सत्ता में मौजूद बीजेपी को कोई नुकसान होगा? क्या इससे बीजेपी के बनाये हुए हिंदुत्व और उग्र राष्ट्रवाद के नैरेटिव कमजोर हुए हैं? क्या कांग्रेस बीजेपी के समानांतर अपना कोई नैरेटिव खड़ा कर पाई हैं या निकट भविष्य में कर पाएगी? क्या बीजेपी को बेरोजगारी, महंगाई जैसे आम जनता से जुड़े मुद्दों पर अब घेरा जा सकेगा? कांग्रेस पार्टी ने जब नफरत छोड़ो भारत जोड़ों का नारा दिया या राहुल गाँधी ने जब कहा कि वो नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने आए हैं तो उनके निशाने पर बीजेपी ही थी। हालांकि उन्होंने खुलेआम उसका नाम नहीं लिया था। प्रशिक्षकों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी इस यात्रा के जरिए ये कहना चाहती हैं कि बीजेपी ने जिस तरह हिंदू मुस्लिम की राजनीति की और पूरे देश में एक खास।

समुदाय के प्रति नफरत या विद्वेष की भावना है। उसे वो खत्म करना चाहती है। लेकिन क्या वाकई ऐसा हुआ है? क्या वाकई हिंदू मुस्लिम की राजनीति पर रोक लग गई है? जिसदिन राहुल गाँधी ने पदयात्रा खत्म की और श्रीनगर के लालचौक पर तिरंगा फहराया। उसी दिन मुंबई में सकल हिंदू संगठन के बैनर तले एक बड़ा कार्यक्रम हुआ। उस कार्यक्रम में खुलेआम अपील की गई कि मुसलमानों का सामाजिक आर्थिक बॉयकॉट किया जाए और हिंदू उनकी दुकानों से सामान ना खरीदे। ये अपील करने वालों के खिलाफ़ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। तो क्या कांग्रेस बीजेपी के नैरेटिव के समानांतर अपना कोई नैरेटिव बना पाई है? इसका कोई लक्षण तो नहीं दिखता है? कांग्रेस पार्टी हिंदुत्व के समानांतर कोई नयी चीज़ लेकर नहीं आई है। इसके उलट सच तो ये है की उसने सॉफ्ट हिंदुत्व को चलाने की कोशिश की।

पूरी यात्रा के दौरान जगह जगह हिंदू मंदिर जाकर, दर्शन कर और साधु संतों से आशीर्वाद लेकर राहुल ने यह संकेत देने की कोशिश की है कि उन्हें हिंदुत्व की राजनीति से कोई परहेज नहीं है। विश्लेषकों का कहना है कि हिंदुत्व के समानांतर सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति परवान नहीं कर सकती। कांग्रेस पार्टी सॉफ्ट हिंदुत्व के जरिए बीजेपी की धार को कुंद भले कर दें पर खुद पर लगे मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने का जवाब भले दे दे लेकिन वो बीजेपी से उसके प्रिय और कामयाब चुनावी आधार नहीं छीन सकती। हिंदुत्व में यकीन करने वाले लोग बीजेपी के बजाय कांग्रेस को वोट दे, इसकी संभावना कम ही है। तो कांग्रेस बीजेपी को किन मुद्दों पर घेरेगी? मुख्य विपक्षी दल महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की समस्याएं, भ्रष्टाचार वगैरह पर सत्तारूढ़ दल को घेरकर उसे किनारे कर पाएगी।

राहुल गाँधी ने जगह जगह इन मुद्दों को उठाया। उन्होंने पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों को मुद्दा बनाया और 2014 के लोकसभा चुनाव की पहली की स्थिति से आज की स्थिति की तुलना की। ये एसे मुद्दें हैं जिन पर किसी भी सरकार से सवाल पूछे जाने चाहिए और विपक्ष का यही काम भी है। राहुल गाँधी इन सवालों के जरिए बीजेपी को बैकफुट पर धकेलने में कामयाब हुए भी है। केंद्र सरकार ने रोजगार मेला जैसा कार्यक्रम किया, लेकिन यह मुददे वोट में कितना तब्दील होंगे और लोगों के गुस्से को कांग्रेस कितना भुना पाएगी, ये जानने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा। फिलहाल तो स्थिति यह है कि भारत जोड़ों यात्रा से कांग्रेस को भले ही फायदा हो, राहुल गाँधी की छवि में सुधार हो लेकिन बीजेपी को कोई बहुत बड़ा झटका लगा हो। ऐसा नहीं लगता। यदि ऐसा हुआ तो ये भी कुछ दिनों बाद ही मालूम चलेगा।

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