Chhath Puja: छठ के तीसरे दिन इस तरह करें पूजा ! जानिए क्या है पूजा करने की विधि और शुभ मुहूर्त

hindi newsआज छठ महापर्व का तीसरा दिन है। आज के दिन संध्या दिया जाता है। मतलब आज डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। संतान प्राप्ति और संतान की उन्नति के लिए रखा जाने वाला चार दिवसीय छठ पर्व शुरू है। इस साल छठ पूजा 28 अक्टूबर से शुरू होकर 31 अक्टूबर तक चलने वाला है।पंजाब के अनुसार हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है, लेकिन इससे 2 दिन पहले यानी चतुर्थी को नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत हो जाती है।मुख्य रूप से छठ का महापर्व बिहार में मनाया जाता है, लेकिन देश से लेकर विदेशों तक इस पर्व की धूम रहती है।

आज महापर्व का तीसरा दिन है।इस पर्व का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य के लिए होता है जिसमें व्रत करने वाली महिलाएं पानी के अंदर जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती है।चार दिवसीय छठ पर में तीसरा दिन सबसे खास होता है। ऐसे में चलिए जानते हैं छठ पूजा के दौरान संध्या कब दिया जाएगा इसके लिए शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि क्या है?छठ महापर्व का तीसरा दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर मनाया जाता है। यह छठ पूजा का सबसे प्रमुख दिन होता है। इस दिन शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। महिलाएं दूध और पानी से सूर्य भगवान को अर्घ्य देती है। वहीं पूजन सामग्री में बांस की टोकरी में फल, फूल, ठेकुआ,चावल के लड्डू, गन्ना, मूली, कंदमूल और सुप रखा जाता है।

इस दिन जैसे ही सूर्यास्त होता है, परिवार के सभी लोग किसी पवित्र नदी, तालाब या घाट पर एकत्रित होकर एक साथ सूर्यदेव को अर्घ्य देते हैं।इस दिन महिलाएं अपने परिवार बच्चों की लंबी उम्र की प्रार्थना करती है। छठी माता और सूर्यदेव से घर में सुख समृद्धि की मांग करती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से छठी माता व्रत करने वाली महिलाओं के परिवार और संतान को लंबी आयु और सुख समृद्धि का वरदान देती है।छठ पूजा के दौरान सूर्यास्त के समय अर्ध्य देने का खास महत्त्व होता है। संध्या अर्ध्य 30 अक्टूबर को शाम 5:34 पर दिया जाएगा। इसके बाद अगले दिन 31 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन सूर्योदय 6:27 पर होगा। इस समय सूर्यदेव को अर्घ्य देना शुभ रहेगा।छठ पूजा में सूर्य देव की पूजा और उन्हें अर्घ्य देने का विशेष महत्त्व होता है।

षष्ठी तिथि पर सभी पूजन सामग्री को बांस की टोकरी में रख लें। नदी, तालाब या जल में प्रवेश करके सबसे पहले मन ही मन सूर्यदेव और छठी मैया को प्रणाम करें।इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें। सूर्य को अर्घ्य देते समय एहि सूर्य शास्त्रांशु तेजो राशे जगत पते अनुकंपाया माम् देवी गृह्णाणकर्म दिवाकर इस मंत्र का उच्चारण करें छठ पूजा का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। छठ पूजा की शुरुआत 28 अक्टूबर से हो गई थी। 4 दिन तक चलने वाले इस त्योहार में महिलाएं अपनी संतान और सुहाग की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती है। यह त्योहार मुख्य रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में मनाया जाता है। इस व्रत की शुरुआत नहाय खाय से होती है और इसका समापन सूर्य को अर्घ देने और पारण के बाद होता है। इस दिन पूजा में नाक तक सिंदूर लगाने का विधान है।

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