छत्तीसगढ़ सरकार ने बदली किसानों की तकदीर : कृषि क्षेत्र में आया बड़ा परिवर्तन, किसानो की आय में हुई बढोत्तरी, देखे रिपोर्ट

chhattisgarh-newsछत्तीसगढ़ सरकार की राजीव गाँधी किसान या योजना ने प्रदेश में खेती और किसान दोनों की तकदीर बदल कर रख दी है। कभी प्रदेश के किसान खेती को घाटे का सौदा मानकर खेती से मुँह मोड़ने लगे थे, लेकिन आज वही किसान पूरी क्षमता के साथ खेती करने में जुटे हैं। इस योजना के चलते धान बेचने वाले किसानों की संख्या लगभग दोगुनी हो चुकी है और रकबा भी 24,00,000 एकड़ से बढ़कर अब 30,00,000 एकड़ हो चुका है। छत्तीसगढ़ को भारत का धान का कटोरा राज्य यूं ही नहीं कहा जाता है।

प्रदेश की 70 फीसदी आबादी किसानों की है और उन किसानों में 88 फीसदी किसान धान की खेती करते हैं। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में किसानों से ₹2500 क्विंटल धान खरीदी का वादा किया था और जब भूपेश बघेल की सरकार बनी तो इसे हूबहू लागू भी कर दिया गया लेकिन ₹2500 प्रति क्विंटल पर सरकार की ओर से धान खरीदी पर केंद्र सरकार का नियम आड़े आ गया। इसके बाद 21 मई 2020 से भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के नाम पर राजीव गाँधी किसान न्याय योजना की शुरुआत की गई।

₹2500 प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी के कांग्रेस सरकार के वादे और केंद्र सरकार के समर्थन मूल्य के बीच जो अंतर की राशि आती है, उसका भुगतान इस योजना के तहत इनपुट सब्सिडी के रूप में राज्य सरकार करती हैं। इनपुट सब्सिडी के तहत अब तक किसानों के खाते में 14,665,करोड़ ट्रांसफर किए जा चूके हैं। 2021-22 के लिए किसानों तक 7000 करोड़ रुपए पहुंचाने का अनुमान राजीव गाँधी न्याय योजना जब से लागू हुआ है तब से जीवन शैली में परिवर्तन आया है क्योंकि आय में वृद्धि हुई।

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