Diwali 2022: ग्रीन पटाखों से मनाई जाएगी दिवाली ? जानिए क्या है दोनों पटाखों में अंतर ? सस्ता होगा या महंगा
आपको बता दें कि ग्रीन पटाखों को बनाने में फ्लावर पोर्ट, पेन्सिल, स्पार्कल्स और चक्कर का इस्तेमाल किया जाता है तो इस तरह ग्रीन पटाखे पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए इनका निर्माण किया जा रहा है।नॉर्मल पटाखों में बारूद और दूसरे ज्वलनशील रसायन होते हैं, जो जलाने पर फट जाते हैं और ज्यादा प्रदूषण फैलातें हैं। वहीं ग्रीन पटाखों में हानिकारक केमिकल ना के बराबर होते हैं, जिससे वायु प्रदूषण कम होता है। इनमें प्रदूषणकारी केमिकल्स जैसे एल्युमिनियम, नाइट्रेट और कार्बन या तो हटा दिया जाता है और या तो 15-30 प्रतिशत तक कम कर दिया जाता है।आमतौर पर इनकी चार कैटेगरी तय की गई है, जिनमें अलग अलग खूबी वाले पटाखों को रखा गया है। पहला है पानी पैदा करने वाले ग्रीन फटाके।
ये ऐसे ग्रीन फटाके होते हैं जो जलाने के बाद पानी के कण पैदा करते हैं, जिसमें इंसान को नुकसान पहुंचाने वाले नाइट्रोजन और सल्फर घुल जाते हैं। जिससे नुकसान बहुत कम पहुंचता है। दूसरा है पॉल्यूशन रोकने वाले स्टार क्रैकर्स। दूसरी कैटगरी में उन ग्रीन पटाखों को रखा गया है जो सल्फर और नाइट्रोजन के निर्माण कम कर देते हैं। इन पटाखों में खास तरह के केमिकल का इस्तेमाल होता है जो ऐसे कणो की मात्रा को घटाने का काम करते हैं। इस कैटगरी के पटाखों को स्टार क्रैकर्स भी कहते हैं।कम से कम एल्यूमीनियम वाले पटाखे ये ऐसे ग्रीन पटाखे होते हैं जिनमें सामान्य पटाखों की तुलना में 60 फीसदी तक कम एल्यूमीनियम का इस्तेमाल होता है। इसे सफल पटाखे के नाम से भी जाना जाता है।
खुशबू फैलाने वाले पटाखे चौथी कैटेगरी में वो पटाखे शामिल किए गए हैं जो जलाने पर खुशबू फैलाने का काम करते हैं। इन्हें एरोमा फटाके भी कहा जाता है।ग्रीन पटाखों से एयर पोल्युशन के साथ साथ नॉइज़ पोल्लुशन भी कम होता है। कारण यह है कि ये साइज में छोटे छोटे होते हैं और कम आवाज करते हैं। ग्रीन पटाखों से अधिकतम 110 से 125 डेजिमील ध्वनि प्रदूषण होता है, जबकि नॉर्मल पटाखों से 160 डेजिमील तक होता है। आपको बता दें कि ग्रीन पटाखों से एयर पल्यूशन के साथ साथ नॉइज़ पोल्लुशन भी कम होता है। कारण यह है की साइज में थोड़े छोटे होते हैं और कम आवाज करते हैं। ग्रीन पटाखों से अधिकतम 110 से 125 डेसिबल ध्वनि प्रदूषण होता है, जबकि नॉर्मल पटाखों से 160 डेसिबल तक बनी प्रदूषण होता है।
वही अगर ग्रीन पटाखों की कीमत की बात करें तो ये नॉर्मल पटाखों की तुलना में थोड़े महंगे जरूर होते हैं। पिछले सालों की बात करें तो इनकी मार्केट में डिमांड काफी ज्यादा थी, जिसके वजह से कीमतों में करीब 30 से 35 फीसदी की वृद्धि हुई थी। पिछले साल राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, पंजाब जैसे राज्यों में ग्रीन क्रैकर्स को छोड़ने की अनुमति दी गई थी। अगर आपके राज्य में सामान्य पटाखों पर रोक लगी है और ग्रीन पटाखों की इजाजत दी गई है तो आप भी सरकार की ओर से रेजिस्टर्ड दुकान पर ग्रीन पटाखे खरीद सकते हैं। इसके अलावा आप ग्रीन पटाखे ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं। ग्रीन पटाखों में आपको नॉर्मल पटाखों की तरह ही विभिन्नता मिल जाएगी। अनाज, चकरी समेत ट्विस्टर, कलर, मेगा मास्टर, म्यूज़िकल, रॉकेट, डान्सिंग बटरफ्लाई, शॉट्स आसानी से उपलब्ध है।