ISRO ने सफलतापूर्वक लॉन्च किया आदित्य एल-1 मिशन, सूर्य तिलक की सूर्य तक की यात्रा शुरू
चांद के बाद अब सूरज पर भी भारत की नजरें हैं, और यह इतिहास बनाने का समय है! भारत ने शनिवार को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर श्रीहरिकोटा के लॉन्चिंग पैड से आदित्य एल-1 मिशन की सफल लॉन्चिंग की, जिसका मकसद सूरज के चक्करों में जाना और सूरज-पृथ्वी के बीच मौजूद एल-1 पॉइंट पर स्थापित होना है।
भारत की पहली पूर्ण सौर मिशन
यह मिशन भारत का पहला पूर्ण सौर मिशन है, जिससे हिन्दुस्तान सूरज का अध्ययन करने वाले देशों की कैटेगरी में भी पहुंच गया है। आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग के बाद, इसे पृथ्वी की कक्षा से बाहर किया जाएगा और सूरज की ओर भेजा जाएगा। श्रीहरिकोटा के सेंटर में इसरो के चीफ एस. सोमनाथ, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह समेत इसरो के तमाम बड़े वैज्ञानिक मौजूद रहे थे।
इसरो का अद्वितीय कौशल
ISRO ने हाल ही में चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया था, जिसकी सफलता के बाद भारत चांद के साउथ पोल पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बना। इस सफलता के बाद भारत आदित्य एल-1 मिशन लॉन्च कर रहा है और सूर्य के अध्ययन की ओर अपना बड़ा कदम ले रहा है।
सूर्य के आसपास का अनवरत अध्ययन
आदित्य एल-1 का मुख्य उद्देश्य सूर्य के एल-1 पॉइंट पर जाकर सूर्य की परिक्रमा करना है, जहां से 24 घंटे सातों दिन सूरज पर नज़र रखी जा सकती है। इस मिशन से हमें सूर्य के चक्करों में होने वाले बदलावों का गहरा अध्ययन करने का मौका मिलेगा।
इसरो की तकनीकी क्षमता
इसरो की दुनिया में ये पहचान है कि वह तमाम मुश्किलों के बावजूद एक कम बजट में किसी भी मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च कर सकता है। आदित्य एल-1 का पूर्ण बजट क्या है, यह सामने नहीं आया था, हालांकि सरकार द्वारा इसके लिए करीब 400 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इसके अलावा, इसकी लॉन्चिंग और सूर्य की कक्षा में काम करने तक का बजट भी इसके अतिरिक्त ही है।
आदित्य एल-1 का महत्वपूर्ण काम
आदित्य एल-1 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा से लॉन्च हो रहा है, इसको सूर्य के एल-1 पॉइंट तक पहुंचने के लिए करीब 4 महीने का वक्त लगेगा। क्योंकि पृथ्वी और सूर्य की दूरी काफी ज्यादा है, ऐसे में यहां समय भी अधिक ही लगेगा। पृथ्वी और एल-1 पॉइंट के बीच की दूरी 1.5 मिलियन किमी है। एक बार जब आदित्य एल-1 स्थापित हो जाएगा, तब ये करीब 5 साल तक एक्टिव रहेगा और इसरो को तमाम जानकारी देता रहेगा।
सूर्य के रहस्यमयी विश्व
आदित्य एल-1 एक सैटेलाइट है जो सूरज की परिक्रमा करेगा। इसरो द्वारा इस सैटेलाइट में सात पेलोड भेजे जा रहे हैं, जिनमें से 4 सूरज का अध्ययन करेंगे और बाकी एल-1 पॉइंट को समझेंगे। इन सभी पेलोड से कोरोनल तापमान, मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर, अंतरिक्ष का मौसम, सूरज के आसपास के कण और उसके बारे में जानकारी मिलेगी। तमाम पेलोड तस्वीर खींचने से लेकर तापमान मापने और अन्य रिसर्च करने के काम आएंगे। भारत से पहले अमेरिका, जापान, यूरोप, चीन भी अपने सौर मिशन लॉन्च कर चुके हैं, लेकिन इसरो अपनी अद्वितीय तकनीकी क्षमता के साथ इस रेस में शामिल हो रहा है।
इस सफल मिशन से हिन्दुस्तान का गर्व बढ़ा है, और यह हमारी तकनीकी सामर्थ्य का प्रतीक है। सूरज के रहस्यमयी विश्व के साथ हमारी अध्ययन यात्रा का आगाज हो चुका है, और हम सबको इसमें गर्व है कि हम दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल हो रहे हैं।
हिन्दुस्तान ने इसरो के माध्यम से एक और इतिहास रच दिया है, और हम सब इस मिशन के सफल होने की कामना करते हैं!