पढ़ने की उम्र में बच्चे बने अरबपति ! मोबाइल से बने हज़ारो करोड़ों का बॉस : ऐसा क्या किया की मोबाइल में पानी की तरह बनने लगा पैसा ?
माँ का दूध पी के चलना सीखा जवानी आती है उससे पहले 1000 करोड़ के मालिक बन गए। देश के पहले किशोर करोड़पति। कौन हैं ये जिनको देखकर डर गए दुनिया के बड़े अमीर भी टीना अंबानी का हाथ, न अडानी का परिवार मोबाइल ने बना दिया दोनों बच्चों को हजारों करोड़ों का बॉस ये नया भारत है यहाँ दूध पीता बच्चा भी करोड़पति अरबपति बन सकता है। ये मासूम बच्चे है। अभी 18 साल उम्र हुई लेकिन झंडा ऐसा बुलंद किया कि दुनिया के अमीर इनकी बायोग्राफी पड़ने लगी।1000 करोड़ से ज्यादा संपत्ति के मालिक आखिर ये दो बच्चे बने कैसे? मोबाइल में ऐसा क्या कर दिया कि पैसा पानी की तरह बनने लगा? एक रिपोर्ट आई जिसमें सबका दिमाग खुल गया। 2020 की कंपनी ने ऐसा धमाल मचाया कि 18 और 19 साल के बच्चों ने मिलकर 22,00,00,000 की कंपनी खड़ी कर डाली।
हुरुन इंडिया रिच लिस्ट में 90 के दशक में जन्मे 13 सेल्फ मेड लोगों ने जगह बनाई। कैवल्य वोहरा की संपत्ति करीब 1000 करोड़ रुपए वो सबसे अमीर लोगों की सूची में ही 1036 वें नंबर पर है।जबकि आदित्य पाचिला 1200 करोड़ की संपत्ति के साथ अमीरों की सूची में 950 वें स्थान पर काबिज हैं। हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2022 में देश के 122 शहरों में 1000 करोड़ रुपये की संपत्ति वाले 1103 लोगों को लिस्ट में जगह दी गई, जिनमें ये दोनों नाम भी शामिल हैं। पहली बार किसी 20 साल से कम यानी टीनेजर के बच्चे ने 1000 से ज्यादा संपत्ति खड़ी कर डाली। दोनों बच्चों की संपत्ति मिला दें तो कुल संपत्ति होती है 2200 करोड़।सवाल उठता है आखिर दोनों ने कंपनी कैसे शुरू की और कंपनी को इतनी जल्दी कैसे सफल बना दिया, जिसका मार्केट में सब डूब गए? उसी मार्केट में यह कैसे अमीरों की लिस्ट में आ गई? दरअसल कॉलेज के दिनों में जब भी दोनों ने कोई सामान ऑर्डर किया तो कई दिनों का इंतजार करना पड़ता था। कई बार तो वो सामान किराना स्टोर पर भी उपलब्ध नहीं होता।
बस दोनों नहीं। इसी का समाधान निकालने के लिए ज़ैप्टो नाम का एक मोबाइल ऐप बनाया, जिसमें दावा था की आपको घर बैठे ऑर्डर करते ही 10 मिनट में राशन और खाने पीने का सामान मिल जाएगा।यानी क्विक ग्रॉसरी डिलिवरी ऐप मुंबई के एक छोटे से कमरे से शुरू हुई कंपनी देखते ही देखते पूरे भारत में फैल गई। खासतौर से शहरों में काफी डिमांड बढ़ गई। कुछ दिन पहले ही दावा किया था, भारत में 70,000 से ज्यादा स्टार्टअप चल रही है जिनकी कामयाबी दुनिया को हिला देगी। तो ये एक नमूना आपके सामने ज़ैप्टो नामक कंपनी मोबाइल पर बनी मोबाइल से बढ़ी हुई और दोनों बच्चों ने हजारों करोड़ कमा लिए। ये वही मोबाइल है जिसपर आप दिन भर या तो रील देखते हैं।या तो गेम खेलते है कुछ लोग मोबाइल लेने के बाद बिगड़ गई या भटक गए, लेकिन वो वोहरा और आदित्य ने ऐसा नहीं किया। पढ़ाई के दौरान ही ठाना कि मोबाइल पे कोई कुछ भी करे, लेकिन हम दोनों कुछ कमाल करके दिखाएंगे। शहर के भीतर कोई भी व्यक्ति बाहर निकलकर सामान खरीदने को तैयार नहीं होता। इसी कमजोरी को दोनों ने अपनी ताकत बना ली।
ऐसे में 10 मिनट में ज़ैप्टो जैसी कंपनी घर तक सामान पहुंचा देती है, जिससे कंपनी भी खुश ग्राहक भी खुश लेकिन सवाल उठता है इतनी बड़ी कंपनी दोनों टीनेजर बच्चों ने बनाई कैसेदरअसल, इन्होंने 15 साल की उम्र में एक कंपनी में पार्ट टाइम जॉब शुरू कर दिया। वहीं से इनको आइडिया आया और बाद में उस कंपनी वाइज से कंटिन्यूटी फंड ने 200 मिलियन डॉलर का फंड दिया। जिसके बाद अचानक की वैल्यू बढ़ गई और कंपनी फायदे में आ गई। दरअसल, वोहरा और आदित्य पर पीएम मोदी का गहरा असर पड़ा। मोदी अक्सर कहते हैं अब ज़माना बदल रहा है। जल्दी सामान की डिलिवरी ही सफलता की मानक होगी और यही दोनों बच्चों ने अपनी ताकत बना ली। हालांकि मोदी ड्रोन का जिक्र करते लेकिन उसके पहले जेप्टो जैसी कंपनी नेये दावा कर दिया कि भारत में 1 दिन ड्रोन से सामान पहुंचाने की प्रक्रिया भी सफल होगी।
भारत में अब सोच बदल लीजिए, बच्चों को जो करना है करने दीजिये, बस वो रिज़ल्ट लेकर आये। अब ये सोचने वाले हैं की बेटा बड़ा होकर इंजीनियर या डॉक्टर ही बनेगा तो वो यह जान लें कि पड़ोसी का बेटा बड़ा होकर कंपनी खुलेगा और आपका बेटा उसी कंपनी में काम करेगा।इसीलिए वक्त के साथ सोच भी बदलनी होगी, क्योंकि वोहरा और आदित्य समझा दिया कि जीस उम्र में आप अपने बच्चे को डांट कर हौंसला तोड़ते ही उसी उम्र में झंडा बुलंद किया जा सकता है। ये सिर्फ इन दो बच्चों की कहानी नहीं बल्कि कई ऐसे बच्चे है जो करने की कोशिश करते हैं, लेकिन कुछ सफल हो जाते हैं। कुछ असफलता के कारण वही रुक जाते हैं। इन्नोवेशन जीस देश में बड़ा उसी देश की तरक्की बड़ी इसीलिए मेक इन इंडिया के साथ क्रिएट इन इंडिया भी होना चाहिए