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जल्द ही भारत में बनने वाला है I- phone : रतन टाटा ने किया 11000 करोड़ का निवेश, I- phone बनने के क्या होंगे फायदे, देखे इस रिपोर्ट में

hindiमोदी के मेक इन इंडिया में रतन टाटा ने लगाया सबसे बड़ा छक्का आप भारत में बनेगा आईफोन 15 साल से जीस कंपनी को भारत लाना चाह रहे हैं कि सरकार उसे लेकर आने वाले रतन टाटा हाँ अमेरिका का फ़ोन बनाता था चीन पर खरीदता था भारत अब बनायेगा खुद और खरीदेगा भी खुद कहते हैं दुनिया के इकलौते उद्योगपति रतन टाटा, जो नैनो भी बेचते हैं तो करोड़ों की लैंड रोवर और जैगुआर भी बेचते हैं। टाटा की दुकान में गरीबों, अमीरों और मिडल क्लास के लिए सब कुछ मिलता है।

अब फिर एक ऐसा कदम उठाने जा रहे हैं जो सोच को बदल देगा। 8 साल पहले पीएम मोदी ने मेक इन इंडिया की शुरुआत की थी और अब दिग्गज कारोबारी रतन टाटा ने इसमें सबसे बड़ा योगदान किया है। भारत की सरकार जीस अमेरिकी कंपनी को 15 सालों से अपने यहाँ बुलाना चाह रही थी। वो उसके साथ रतन टाटा बड़ा करार करने वाले ये इतनी बड़ी डील है। ये चीन की अभी से ही नींद उड़ गई है। अमेरिका और भारत मिलकर चीन की ऐसी कमर तोड़ने वाले हैं, ये वो दोबारा किसी से पंगा नहीं लेगा।

हम आपको ये बताएंगे उसका दुनिया भर में क्या असर पड़ेगा।लेकिन उससे पहले सुनिए की रतन टाटा कौन सी बड़ी डील करने वाले हैं? अमेरिकी कंपनी ऐप्पल का आईफोन आप रतन टाटा भारत में बनाएंगे। इसके लिए टाटा ग्रुप ताइवान के सप्लाइअर के साथ विस्ट्रान कॉर्प से बातचीत कर रहा है। कोर्प ऐप्पल की पार्टनर कंपनी है जो कंपनी चेन्नई के श्रीपेरंबुदूर में आईफोन की असेंबलिंग करती है यानी आईफोन के अलग अलग पार्ट्स को जोड़ती है। 15 सालों में आईफोन की 14 सिरीज़ लॉन्च हुई, लेकिन एक भी आईफोन इंडिया में नहीं बन पाया।

7 सितंबर को आईफोन 14 लॉन्च हुआ। लेकिन इंडिया में से आते आते तीन से छे महीने का वक्त लग जाएगा। इसी गैप को खत्म करने के लिए ऐप्पल कंपनी चाहती है की इंडिया में उसके फ़ोन बनने लगे ताकि लॉन्च होते ही आईफोन 15 तुरंत भारत के लोगों को मिल जाये। अब तक यही होता रहा था कि अमेरिकी कंपनी का फ़ोन चीन में बनता था, फिर भारत के लोग उसे खरीदते थे। लेकिन अब भारत में ही फ़ोन बनेगा और भारत ही उसे खरीदेगा। चीन और अमेरिका के बीच अभी अनबन चल रही है इसलिए भी ऐप्पल कंपनी भारत का रुख करना चाहती है।

मोदी सरकार शुरू से ही कंपनियों को कह रही है ये आप यहाँ आकर सामान बेचिए लेकिन वो सामान यही बनाइए ताकि यहाँ के लोगों को रोजगार और सरकार को टैक्स दोनों मिल सके क्योंकि हिंदुस्तान अब वो बाज़ार नहीं रहा जहाँ आप जाये, अपना सामान बेचे और मुनाफा कमा कर निकल गए। ये ऐप्पल कंपनी के लिए एक तरह से बहुत घुटने पर आने वाली बात होगी क्योंकि साल 2007 में जब पहला आईफोन आया है तभी से भारत सरकार से कोशिश में लगी थी। ये ऐप्पल का आईफोन यहाँ भी बने ये कंपनी यहाँ आ जाये लेकिन ये सपना अब तक साकार नहीं हो पाया।

मेड इन इंडिया के तहत बीते आठ सालों में हजारों कंपनियां हिंदुस्तान में आई है।इनमे अडाणी अंबानी और रतन टाटा का बड़ा रोल रहा है। खरबों का निवेश हुआ ऐप्पल की मार्केट वैल्यू करीब तीन बिलियन डॉलर है। इतनी भारत की इकोनॉमी है। जब इतनी मार्केट वैल्यू की कंपनी आएगी तो देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। मतलब रतन टाटा ना सिर्फ टाटा ग्रुप को आगे बढ़ाने के लिए डील कर रहे हैं बल्कि मेड इन इंडिया और भारत की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देने में लगे हैं।

यही काम अडानी और अंबानी जैसे बिज़नेस मैन भी कर रहे हैं, लेकिन रतन टाटा जैसी इज्जत कोई भी बिज़नेस मैन नहीं कमा सकता है क्योंकि रतन टाटा के लिए बिज़नेस बाद मेंऔर देश पहले इसीलिए तो देश के लोगों के लिए पहले नैनो कार लेकर आये। और अब जब देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देनी है, पांच ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचना है तो रतन टाटा खुद बड़ी कंपनी को लेकर भारत आ रहे हैं। अब वो दिन दूर नहीं जब लोग विदेशी आईफोन को बाय-बाय और टाटा की आईफोन का वेलकम करेंगे।

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