Mission Cheetah: नामीबिया से आए चीतों को पसंद आ रहा है कुनो नेशनल पार्क ! शिकार के लिए करना होगा 24 दिन इंतजार
धरती के सबसे तेज रफ्तार जानवर चीता को अपना पहला शिकार करने के लिए अभी कम से कम 24 दिन और इंतजार करना होगा। वजह यह है कि नामीबिया से भारतीय धरती पर आए चीतों को एक महीने के लिए कोरेनटिन किया गया है। जिन छोटे बाड़ों में चीतों को रखा गया है, वहाँ इन्हें शिकार का मौका नहीं मिलेगा। वन्यजीव अधिकारी ने बताया कि कुल्लू नैश्नल पार्क में जो जीते आये हैं उनको अलग अलग बाड़े में रखा गया है।जहाँ उनको भैस का मांस खाने के लिए दिया जा रहा है उन्हें शिकार के लिए करीब 24 दिनों का इंतजार करना होगा।
वहीं डीएफओ कुनो पार्क ने बताया कि चीतों को लंपि वाइरस से कोई खतरा नहीं है। दरअसल ये वाइरस गोवंश के अलावा दूसरे प्राणियों में नहीं पाया जाता है और इनके फैलने की अभी तक कोई हिस्टरी नहीं है। इसलिए चीतों पर इस वायरस का कोई असर नहीं होगा। वैसे भी चिता को जो रोग होते हैं वो अलग होते हैं और उनका वैक्सीनेशन नामीबिया में भी किया जा चुका है। आपको बता दें कि 75 साल बाद आठ चीतों को नामीबिया से भारत लाया गया है।साल 1992 में देश से चीता विलुप्त हो गया था और अब भारत की विरासत को दोबारा से स्थापित किया गया है।
पीएम मोदी ने 17 सितंबर को अपने जन्मदिन के अवसर पर नामीबिया से आए चीतों को मध्य प्रदेश में स्थित कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था। नामीबिया से आए चीतों को कूनो नेशनल पार्क के एक विशेष बाड़े में रखा गया है। कहा जा रहा है कि उन्हें कुनो नेशनल पार्क रास आने लगा है। पिछले दिनों में उनका व्यवहार लगातार बदल गया और ये अच्छे संकेत बताए जा रहे हैं। अधिकारियों का दावा है कि चीतों को यहाँ के माहौल में घुलने मिलने में आसानी हो रही है।उन्हें यहाँ रहना पसंद आ रहा है। वही बाड़े में चीतों की सुरक्षा के लिए खास इंतजाम है। चीतों की क्वारंटीन बाड़े में सोलर करंट लगाया गया है, जो तेंदुए समेत अन्य जानवरों के खतरों से चीतों की सुरक्षा करेंगे।
चीतों के बाड़े में ऊपर सोलर करंट दौड़ रहा है। ये चीतों या अन्य जानवरों के लिए प्राणघातक तो नहीं है, लेकिन उन्हें डराने के लिए काफी हैं। इससे उन्हें हल्का झटका लगेगा जो चीतों को बाड़े से बाहर जाने या अन्य किसी जानवर को अंदर आने से रोकेगा।वाइल्ड लाइफ फॉरेस्ट सर्विस टेक्निकल टीम के सदस्य ने बताया कि 11.5 फिट ऊंची फेंसिंग में सोलर करंट दौड़ रहा है। इन बाड़ों को चार महीने की कड़ी मेहनत के बाद तैयार किया गया है। अधिकारियों का साफ तौर पर कहना है कि चीतों की सुरक्षा के लिए बाड़े में पूरी तरह से खास इंतजाम है और एक महीने के बाद उन्हें बड़े बाड़े में छोड़ दिया जाएगा जहाँ वो अपना शिकार भी कर पाएंगे।