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EWS के 10 फीसदी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट करेगी सुनवाई : अटर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के द्वारा उठाए गए 3 बड़े मुद्दों पर होगी सुनवाई

hindiसुप्रीम कोर्ट में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसदी रिजर्वेशन को चुनौती देने के मामले पर सुनवाई हुई। सीजेआई यू यू ललित की संविधान पीठ ने मामले पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता की तरफ से संविधान पीठ को मामले की सुनवाई के लिए मुख्य बिंदुओं के बारे में बताया गया। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के तीन सवालों पर मुहर लगा दी गई। ये सवाल है क्या संविधान के 103 वें संशोधन को संविधान के मूल ढांचे को तोड़ने के लिए कहा जा सकता है? राज्य को आर्थिक मानदंड, के आधार पर आरक्षण सहित विशेष प्रावधान करने की अनुमति दी गई है।

क्या संविधान के 103 वें संशोधन में ईडब्ल्यूएस आरक्षण के जरिए ओबीसी, एससी, एसटी आरक्षण के दायरे से छोड़कर संविधान की मूल संरचना से छेड़छाड़ है? क्या ये संशोधन सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण की सीमा 50% के आदेश का उल्लंघन कर सकता है? क्या राज्यों को ईडब्ल्यूएस पद का श्रेणीबद्ध करने के लिए असीमित बल दी गई है? 13 सितंबर से शुरू होने जा रही है। सुनवाई के लिए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की तरफ से रखे गए तीन सवालों पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया है? अदालत अब इस मामले पर सुनवाई करने वाली है। सुप्रीम कोर्ट अगर ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के तहत मिलने वाले आरक्षण को सही ठहराता है तो सरकारी नौकरियों से लेकर ऐडमिशन तक में रिजर्वेशन का लाभ उठाने वाले लोगों के लिए यह बड़ी राहत होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा था कि ईडब्ल्यूएस के लोगों को दाखिले और नौकरी में 10% आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले की संवैधानिक वैधता के संबंध में दाखिल याचिकाओं पर 13 सितंबर को सुनवाई करेगी। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह बात कही। जब पीठ को बताया गया कि पक्षकारों के वकीलों को दलील रखने में लगभग 18 घंटे का समय लगेगा। पीठ ने सभी वकीलों को आश्वस्त किया कि उन्हें पर्याप्त अवसर दिए जाएंगे दलील रखने के लिए ।साथ ही पीठ ने कहा था कि वो 40 याचिकाओं पर निर्बाध सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने के लिए गुरुवार को फिर बैठेगी।

इस संविधान पीठ में न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी, न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला भी शामिल हैं। पीठ ने कहा इस अदालत के वरीष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन द्वारा तैयार किए गए कुछ मुददे सौंपे गए हैं। ये मसौदा मुददे सभी अधिवक्ताओं को दिए जाएं और विचार विमर्श के बाद सभी मुद्दों पर स्पष्ट विवरण इस अदालत के समक्ष 8 सितंबर को पेश किया जाए। जनवरी 2019 में केंद्र सरकार ने संसद में 103 वां संविधान संशोधन प्रस्ताव पारित करवाकर आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को नौकरी और शिक्षा में 10% आरक्षण की व्यवस्था बनाई थी।

मामले में पहली सुनवाई में केंद्र सरकार ने इस आरक्षण को ये कहते हुए बचाव किया था की कुल आरक्षण की सीमा 50% रखना कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं सिर्फ सुप्रीम कोर्ट का फैसला है। तमिलनाडु में अड़सठ फीसदी आरक्षण है, इसे हाइकोर्ट ने मंजूरी दी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी रोक नहीं लगाई। आरक्षण का कानून बनाने से पहले संविधान के अनुच्छेद15 और 16 में जरूरी संशोधन किए गए थे। आर्थिक रूप से कमजोर तबके यानी ईडब्ल्यूएस को समानता का दर्जा दिलाने के लिए यह व्यवस्था जरूरी है। अब देखना होगा 13 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस मामले पर क्या सुनवाई होती है?

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